1.मेष(ARIES)
तथा इसका स्वामी ’मंगल’ है।राशि चक्र की यह पहली राशि है, इस राशि का चिन्ह ”मेढा’ या भेडा है, इस राशि का विस्तार चक्र राशि चक्र के प्रथम 30 अंश तक (कुल 30 अंश) है। राशि चक्र का यह प्रथम बिन्दु प्रतिवर्ष लगभग 50 सेकेण्ड की गति से पीछे खिसकता जाता है। इस बिन्दु की इस बक्र गति ने ज्योतिषीय गणना में दो प्रकार की पद्धतियों को जन्म दिया है। भारतीय ज्योतिषी इस बिन्दु को स्थिर मानकर अपनी गणना करते हैं। इसे निरयण पद्धति कहा जाता है। और पश्चिम के ज्योतिषी इसमे अयनांश जोडकर ’सायन’ पद्धति अपनाते हैं। किन्तु हमे भारतीय ज्योतिष के आधार पर गणना करनी चाहिये।क्योंकि गणना में यह पद्धति
भास्करके अनुसार सही मानी गई है।मेष
राशि पूर्व दिशा की द्योतक है,राशि
पूर्व दिशा इसके तीन द्रेष्काणों
➤मेष राशि के लिए शुभ रत्न
मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह होता है। इस राशि के जातकों के लिए मूंगा (Red coral) शुभ रत्न माना जाता है। मूंगा मंगलवार के दिन धारण करना चाहिए। रत्न पहनते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए: "ऊं अं अंड्गारकाय नम:"।
नोट: रत्न धारण करने से पूर्व कुंडली, राशि और ग्रहों की स्थिति के विषय में अवश्य जानकारी हासिल करें। इस कार्य के लिए किसी प्रशिक्षित ज्योतिषी या पंडित की मदद लें।
some more info con.9767370018
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तथा इसका स्वामी ’मंगल’ है।राशि चक्र की यह पहली राशि है, इस राशि का चिन्ह ”मेढा’ या भेडा है, इस राशि का विस्तार चक्र राशि चक्र के प्रथम 30 अंश तक (कुल 30 अंश) है। राशि चक्र का यह प्रथम बिन्दु प्रतिवर्ष लगभग 50 सेकेण्ड की गति से पीछे खिसकता जाता है। इस बिन्दु की इस बक्र गति ने ज्योतिषीय गणना में दो प्रकार की पद्धतियों को जन्म दिया है। भारतीय ज्योतिषी इस बिन्दु को स्थिर मानकर अपनी गणना करते हैं। इसे निरयण पद्धति कहा जाता है। और पश्चिम के ज्योतिषी इसमे अयनांश जोडकर ’सायन’ पद्धति अपनाते हैं। किन्तु हमे भारतीय ज्योतिष के आधार पर गणना करनी चाहिये।क्योंकि गणना में यह पद्धति
भास्करके अनुसार सही मानी गई है।मेष
राशि पूर्व दिशा की द्योतक है,राशि
पूर्व दिशा इसके तीन द्रेष्काणों
(दस दस अंशों के तीन सम भागों) के स्वामी क्रमश: मंगल-मंगल, मंगल-सूर्य, और मंगल-गुरु हैं। मेष राशि के अन्तर्गत अश्विनी नक्षत्र के चारों चरण और कॄत्तिका का प्रथम चरण आते हैं। प्रत्येक चरण 3.20' अंश का है, जो नवांश के एक पद के बराबर का है। इन चरणों के स्वामी क्रमश: अश्विनी प्रथम चरण में केतु-मंगल, द्वितीय चरण में केतु-शुक्र, तॄतीय चरण में केतु-बुध, चतुर्थ चरण में केतु-चन्द्रमा, भरणी प्रथम चरण में शुक्र-सूर्य, द्वितीय चरण में शुक्र-बुध, तॄतीय चरण में शुक्र-शुक्र, और भरणी चतुर्थ चरण में शुक्र-मंगल, कॄत्तिका के प्रथम चरण में सूर्य-गुरु हैं।
➤मेष राशि के लिए शुभ रत्न
मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह होता है। इस राशि के जातकों के लिए मूंगा (Red coral) शुभ रत्न माना जाता है। मूंगा मंगलवार के दिन धारण करना चाहिए। रत्न पहनते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए: "ऊं अं अंड्गारकाय नम:"।
नोट: रत्न धारण करने से पूर्व कुंडली, राशि और ग्रहों की स्थिति के विषय में अवश्य जानकारी हासिल करें। इस कार्य के लिए किसी प्रशिक्षित ज्योतिषी या पंडित की मदद लें।
some more info con.9767370018
i mesh rashi aaj ka din mesh rashi name mesh rashifal love mesh rashi in hindi tomorrow mesh rashi characteristics mesh rashi 2017 mesh rashi in english mesh rashi 2017 in marathi
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