ऎसे पहने अपना राशि रत्न, जागेगा भाग्य, पूरी होगी हर इच्छा
भारतीय ज्योतिष के अनुसार हर ग्रह को एक विशेष रत्न द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इस रत्न को पहनने से उस ग्रह के अशुभ फलों में कमी आकर वह शुभ हो जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी को शनि अशुभ चल रहा हो तो उसे नीलम पहनने से फायदा होता है। कुछ लोग महंगा होने के कारण इन रत्नों को नहीं खरीद पाते उन्हें उपरत्न पहनने चाहिए उपरत्न केमिकली (रासायनिक संरचना) में असली रत्न से थोड़ा सा अलग होता है परन्तु इसके ज्योतिषिय प्रभाव महंगे रत्नों के समान ही होते हैं। इसी भांति हर राशि को हर रत्न सूट नहीं करता।
चन्द्रमा को अनुकूल बनाने के लिए मोती (पर्ल) पहना जाता है। मोती दिखने में चिकना, सौम्य होता है। जिन लोगों को मानसिक उत्तेजना बेहद अधिक रहती है उन्हें भी मोती पहनने की सलाह दी जाती है। यह मिथुन राशि वालों के लिए बेहद शुभ माना जाता है। मोती नहीं खरीद पाने की स्थिति में आप मूनस्टोन, सफेद मूंगा या ओपल भी पहन सकते हैं। मोती को चांदी में पहना जाता है।
मंगल का रत्न मूंगा (कोरल) देखने में मोती जैसा लाल रंग का रत्न होता है। यह अण्डाकार तथा तिकोने शेप में ही आता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल अशुभ योग बना रहा है उन्हें मूंगा पहनने की सलाह दी जाती है। मूंगा पहनने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह मेष तथा वृश्चिक दोनों ही राशि वालों के लिए शुभ बताया जाता है परन्तु इसका असर दोनों राशियों पर अलग अलग होता है। इसे राजनीतिज्ञ, सेना, पुलिस, बिल्डिंग, किसी हॉस्पिटल की लैब में काम करने वाले भी पहन सकते हैं। मूंगा नीलम, हीरा, गोमेद और लहसुनिया के साथ कभी नहीं पहनना चाहिए। मूंगा रत्न खरीदने में असमर्थ लोगों को लाल हकीक, तामड़ा या संगसितारा पहनना चाहिए। मूंगा सदैव सोने या तांबा धातु के बनवा कर ही पहनना चाहिए।
पन्ना (एमरल्ड) बुध का राशिरत्न होने के कारण विद्यार्थियों तथा अध्ययन-अध्यापन का कार्य करने वालों के लिए सौभाग्य लाता है। इनकी रंगत हल्की हरी से गहरी रंही होती है। इसे धारण करने से बुध की पीड़ा शांत होती है। मिथुन तथा कन्या लग्न वाले व्यक्ति भी पन्ना धारण कर सकते हैं। पन्ना अत्यधिक महंगा होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति इसे नहीं खरीद सकता, ऎसी अवस्था में आप जेड, एक्वामेरिन, फिरोजा या आनेक्स भी पहन सकते हैं। पन्ना हमेशा चांदी में पहना जाता है।
पुखराज (टोपाज) गुरू का रत्न हैं। आध्यात्मिक उन्नति चाहने वालों के लिए इसे अत्यन्त शुभ माना जाता है। धनु और मीन राशि के लोगों के लिए पुखराज पहनना सौभा ग्यवृदि्ध करता है। यह देखने में पारदर्शी होता है तथा सफेद, बसंती व पीले रंग में ही पाया जाता है। पुखराज के उपरत्न टाइगर, सुनहरा पीला हकीक है। इसे सोने का अष्टधातु में पहना जाता है।
हीरा (डायमंड) शुक्र ग्रह की अनुकूलता के लिए पहना जाता है। हीरा पहनने से शुक्र का नकारात्मक प्रभाव दूर होकर समृदि्ध के द्वारा खुलते हैं। ज्योतिष के अनुसार हीरा पहनने से प्रेम/वैवाहिक संबंध अनुकूल होकर व्यक्ति के जीवन को खुशहाल बना देते है। हीरा चांदी अथवा प्लेटिनम में पहना जाता है। हीरा अत्यधिक महंगा होने के कारण सभी नहीं खरीद सकते, इस स्थिति में आप हीरे का उपरत्न जर्किन, स्फटिक, सफेद पुखराज, ओपल खरीद कर पहन सकते हैं।
नीलम (ब्लू सफायर) शनि का रत्न है। नीलम पहनने का त्वरित प्रभाव सर्वमान्य है। कहा जाता है कि अमिताभ बच्चन जब असफलता के अंधकार में चले गए थे तब उनके लिए नीलम पहनना शुभ रहा और वो फिर एक बार अपनी स्टारडम पाने में कामयाब रहे। नीलम देखने में हीरे जैसा ही लेकिन नीले रंग का होता है। इसे कन्या राशि वालों के लिए भी शुभ माना जाता है। नीलम भी अत्यधिक महंगा पत्थर होता है, ऎसे में इसके उपरत्न एमेथिस्ट, लाजवर्त, ब्लैकस्टार, गनमैटल, ब्लू टोपाज पहना जा सकता है। इसे सोने या पंचधातु में ही पहना जाता है।
गोमेद व्यक्ति के जीवन से राहु के बुरे प्रभाव को हटाकर उसे सही दिशा में लाता है। मानसिक उथल-पुथल, गलत निर्णय तथा बिना वजह हो रहे नुकसान को रोककर गोमेद व्यक्ति के जीवन को प्रेम, समृदि्ध और खुशहाली से भर देता है। गोमेद को चांदी में मढ़वा कर पहना जाता है। गोमेद के उपरत्न ऑरेन्ज जर्किन तथा हेसोनाइट हैं।
लहसुनिया (या वैदूर्य मणि) केतु की शांति के लिए पहना जाता है। केतु का उपरत्न कैट्स आई तथा एलेग्जण्ड्राइट है। इन दोनों रत्नों को ही चांदी में पहना जाता है।
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