Monday, 24 July 2017

पांच मुखी रुद्राक्ष(5 face rudraksh)

➤पांच मुखी रुद्राक्ष(5 face rudraksh):
कालाग्नि रूद्र के रूप में पांच मुखी रुद्राक्ष को इस ब्रह्माण्ड में स्थापित किया गया है | पञ्च देवों की कृपा से परिपूर्ण यह रुद्राक्ष पञ्च तत्वों के दोषों का नाश करने में सहायक होता है | शिव के उपासकों को पांच मुखी रुद्राक्ष की माला अवश्य धारण करनी चाहिए | पञ्च देवों की कृपा  होने के कारण से यह माला भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है |


पांच मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 5 face Rudraksh):

मन के रोगों को दूर करके मानसिक तौर पर स्वस्थ करने में यह रुद्राक्ष अति उत्तम फल प्रदान करता है | बढती आयु में जब समृधि का नाश होने लगता है और व्यक्ति अपने अर्जित ज्ञान को भूलने लगता है उस समय पांच मुखी रुद्राक्ष की माला को धारण करने मात्र से सभी परेशानियों में सफलता मिलनी प्रारंभ हो जाती है | महाशिवपुराण में तो अकाल मृत्यु से बचने के लिए इस माला पर महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से अल्प मृत्यु से बचा जा सकता है | गलत जगहों पर जाने और गलत भोजन करने से प्राप्त हुए पापों को भी यह रुद्राक्ष माला कम करती है | इसका धारक भगवान शिव के गुण एवं धर्मों को प्राप्त कर सकता है | ब्रहस्पति देव पांच मुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए इसको धारण करने से ब्रहस्पति देव की कृपा भी प्राप्त होती है | नौकरी व्यवसाय में सफलता व् गृहस्थ सुख में भगवान ब्रहस्पति की कृपा से इस माला को धारण करने पर यह सभी लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं.

➤रुद्राक्ष धारण करने का शुभ मुहूर्त | Rudraksha Dharan - Shubh Muhurat:
रूद्राक्ष को पूर्णिमा जैसे शुभ दिनों में धारण करने पर व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. इसके अतिरिक्त ग्रहण में, संक्रांति, अमावस्या में धारण किया जाना चाहिए रुद्राक्ष का आधार ब्रह्मा जी हैं इसकी नाभि विष्णु हैं, इसके चेहरे रुद्र है और इसके छिद्र देवताओं के होते हैं.  रुद्राक्ष के दिव्य गुणों से जीव दुखों से मुक्ति पा कर सुखमय जीवन जीता है तथा भगवान शिव की कृपा को पाता है.



➤पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र(Dharan mantra):
रुद्राक्ष को पांच से सात दिनों तक सरसों के तेल में भिगोकर रखना चाहिए तत्पश्चात रुद्राक्ष को गंगाजल, दूध, जैसी पवित्र वस्तुओं के साथ े स्नान कराएं तथा रुद्राक्ष को  पंचामृत एवं पंचगव्य से भी स्नान करवाएं और इसके साथ ही “ॐ नमः शिवाय” इस पंचाक्षर मंत्र का जाप करते रहें. शुद्ध करके इस चंदन, बिल्वपत्र, लालपुष्प अर्पित करें तथा धूप, दीप  दिखाकर पूजन करके अभिमंत्रित करें.

रुद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श कराकर उस पर हवन की भभूति लगाएं, “ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात ||” द्वारा अभिमंत्रित करके पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके मंत्र जाप करते हुए इसे धारण करें. रुद्राक्ष यदि विशेष रुद्राक्ष मंत्रों से धारण न कर सके तो इस सरल विधि का प्रयोग करके धारण कर सकते हैं. रुद्राक्ष के मनकों को शुद्ध लाल धागे में माला तैयार करने के धारण किया जा सकता है.






Location: India

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